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Sunday, November 8, 2009

मेरा नाम भगुहै। आज मैं एक कहानी िलखने का साहस कर रहा हूँ। यह कहानी
मेरेघर की है। मेरेघर में मैं, मेरी प􀆤ी, एक छोटा भाई, उसकी प􀆤ी और हमारेछोटे
बच्चेएक संयु􀆠 पिरवार की तरह रहतेहैं।
मैंनेशादी सेपहलेऔर शादी के बाद भी िकसी को बुरी नज़रों सेनहींदेखा। हमारी
शादी को १५ साल हो गए हैं और मेरेभाई की शादी को दस साल। मेरेभाई की बीवी
देखने में बहुत खबू सूरत है। वो मझु े कभी कभी अज़ीब िनगाहों से देखती है।
दोपहर को जब मैं खाना खाने घर पर जाता हूँ तो मेरी बीवी मुझे खाना देती है, अगर
वो नहींहोती तो मेरेभाई की बीवी देती है। जब मेरी बीवी नहींहोती तब खानेमें मेरे
पसन्द वाली चीज़ बनी होती है। वो मुझेखुश करना चाहती है। मैं कुछ लेना भूल
जाऊँ तो मुझेचीज़ देनेके बहानेवो वहाँहोनेकी कोिशश करती है। तो मेरा
नज़िरया उसके बारेमें बदल गया।
अब मैं भी उससे नज़रें िमलाने की कोिशश करता हूँ। नज़रें िमलते ही वो मुःकु रा
देती है और शरमा जाती है। मैं अब िहम्मत करके उससे बात करना चाहता हूँ पर
मुझेमौका नहींिमलता।
आिखर एक िदन शुरूआत हो ही गई।
मैं उसका नाम बताना तो भूल ही गया। उसका नाम शीला है (बदला हुआ)।
एक िदन घर सेसब शादी में जानेवालेथेमुझेऔर शीला को छोड़ कर। तो दोपहर
के खानेके िलए मेरी बीवी शीला को बोल गई थी। मैं दोपहर को अकसर देर सेआता
हूँ लेिकन उस िदन जल्दी आ गया। शीला कु छ ज्यादा ही खशु थी।
जब घर पर सब होतेहैं तो हम आपस में बात नहींकरते। मैं घर जातेही टीवी चला
कर देखनेलगा। वो भी वहाँबैठ कर कपड़ों को इःतरी कर रही थी। मेरेआतेही वो
बोली- खाना देदँू?
लेिकन मैंनेकुछ और सोचा था तो मैंनेबोल िदया- थोड़ी देर बाद देना !
और मैं टीवी देखनेलगा। टीवी पर अिनल कपूर और िडम्पल का 'जांबाज़' का
सेक्सी सीन चल रहा था। वो देखतेही शरमा गई। मैंनेबात करनेके िलए उससे
पूछा- आज खानेमें क्या बनाया है?
तो वो बोली- खीर बनाई है।
खीर मुझे बहुत पसन्द है। बातों का दौर जारी रखने के िलए मैंने कहा- जानता था
िक आज खीर ही होगी।
वो बोली- आपको कैसेमालूम िक आज खीर ही होगी?
मैंनेकहा- जब भी उषा (मेरी प􀆤ी) नहींहोती, तब तुम मुझेमेरी पसन्द का खाना
िखलाती हो ! यह मुझेमालूम हो गया है। इसिलए मैंनेअनुमान लगाया था िक
आज मुझेखीर िमलेगी।
यह सुनते ही वह मुःकु राने लगी और कहने लगी- आप बहुत चालाक हो !
मुझेलगा अब कुछ बात बन रही है। मैंनेअपनी बातों का दौर जारी रखा- देख शीला
! यह बात अगर उषा को पता चल गई िक जब वो घर पर नहींहोती तो तूमुझे
अच्छा खाना िखलाती हैतो हम दोनों को डाँट पड़ेगी। यह कह कर मैंनेउसको थोड़ा
डराया।
तो वो झट सेबोली- नहींनहीं ! उनको मत बताना ! नहींतो मुझेमार ही डालेगी।
मैंनेकहा- तुम िचन्ता मत करो, मैं नहींबताऊंगा िक उसकी गैर-मौज़ूदगी में तुम
मुझेक्या िखलाती हो।
यह सुनतेही उसनेराहत की साँस ली।
मैंनेपूछा- तुम ऐसा क्यों करती हो?
तो वो शरमा कए बोली- बस ऐसेही !
मैंनेकहा- ऐसेही कोई िकसी का ख्याल नहींरखता। काश तुम मुझे१५ साल पहले
िमली होती !
यह सुनते ही वो शरमाई और बोली- तो क्या हुआ ! मैं अब भी आपका ख्याल तो
रखती हूँ।
मैंनेसोचा िक अब लोहा गरम है, बात कर देनी चािहए, मैंनेकहा- बताओ ना ! जब
कोई नहींहोता तो मेरा इतना ख्याल क्यों रखती हो?
मेरेजोर देनेपर वो बोली- तुम्हारा ख्याल रखना मुझेअच्छा लगता है।
मैंनेकहा- ऐसा ख्याल तो प􀆤ी अपनेपित का रखती है।
वो सुनतेही शरमाई और कहनेलगी- आप भी ना बस....
िफ़र मैंनेपूछा- क्या आगेभी तुम मेरा ख्याल रखोगी या यहींरुक जाओगी?
तो वो बोली- आप चाहोगेतो आगेभी ख्याल रखूंगी।
मैंनेउससेपूछ ही िलया- क्या तुम मुझेपसन्द करती हो?
सुन कर वो शरमा गई।
__________________

िफ़र मैंनेकहा- देख शीला ! शादी सेपहलेमैंनेिकसीसेप्यार नहींिकया था, मेरी भी
इच्छा हैिक मैं िकसी से िदल से प्यार करूँ । मैं तुम से प्यार करने लगा हूँ, तुम चाहो
तो मना कर सकती हो, मुझेबुरा नहींलगेगा !
यह सुन कर वो शरमा कर मुःकुरानेलगी और बोली- िकसी को पता चल गया तो?
मेरा िदल खुशी सेउछल पड़ा, मैं बोला- िकसी को पता भी नहींलगेगा, यह बात तेरे
और मेरेबीच ही रहेगी।
उसनेझट सेहाँकह दी।
अब खाना लगाऊँ क्या?
मैंनेकहा- तुम्हारी हाँनेमेरा पेट ही भर िदया, थोड़ी देर बाद खाना खाएंगे।
वो अपना काम खत्म करके अन्दर के कमरेमें जानेलगी तो मैं भी झट सेउठ के
उसके पीछे गया और उसको पीछे से बाहों में जकड़ िलया। वो मुझसे छु टने की
कोिशश करनेलगी और बोली- कोई आ जाएगा तो क्या होगा !
मैंने कहा- अभी आता हूँ ! और जाकर बाहर का दरवाज़ा बंद कर िदया।
और अन्दर आतेही देखा तो वो अलमारी खोल कर कुछ िनकाल रही थी। मैंनेपीछे
सेउसेपकड़ िलया और घुमा के अपनेआगेकर िलया। वो कुछ बोले, इससेपहलेही
मैंनेअपनेहोंठ उसके होंठों पर रख िदए और उसको चूमनेलगा। करीब पाँच िमनट
तक मैं उसको चूमता रहा, वो छटपटाने लगी। िफ़र मैंने उसके ःतनों को छुआ और
धीरेसेमसलनेलगा तो सीऽऽआऽऽसऽऽ अई करनेलगी और मुझेछोड़नेको कहने
लगी।
मैंनेकहा- ऐसा मौका िफ़र कब िमलेगा, मुझेप्यार करनेदे।
िफ़र धीरे से उसे चूमने लगा। मेरा एक हाथ उसके ःतन पर और दसू रा उसकी पीठ
पर रख कर उसेअपनी ओर दबा रहा था। वो भी काफ़ी गमर् हो गई थी।
िफ़र मैंनेउसको उठा कर िबःतर पर िलटा िदया और मैं भी साथ लेट करुसके होंठों
को चूमनेलगा। वो भी मेरा साथ देनेलगी। िफ़र मैंनेउसकी साड़ी िनकाल दी। और
उसके ब्लाऊज़ के हुक खोलते ही उसके बड़े बड़े ःतन बाहर आ गए। मैंने उसके
चुचूक को मुंह में लेिलया और चूसनेलगा। उन पर मेरी जीभ िफ़रनेलगी।
वो भी काफ़ी गमर् हो गई थी और शऽऽ आऽऽहऽऽ करनेलगी और मुझेपागलों की
तरह चूमनेलगी। िफ़र अचानक मेरेकमीज़ के बटन खोलनेलगी। मैंनेअपना
कमीज़ िनकाल िदया और उसको आिहःते से नीचे से ऊपर तक चूमते हुए उसके
मुँह में अपनी जीभ डाल दी। मैं पागलों की तरह उसको चूमता रहा।
िफ़र उसका हाथ मेरी पैन्ट की िज़प पर आया। उसनेमेरी िज़प खोल कर मेरेलण्ड
को पकड़ िलया। मैं समझ गया िक वो एकदम गमर् हो गई है। िफ़र मैंनेउसके
पेिटकोट का नाड़ा खोल कर उसेअलग कर िदया और अपनी पैन्ट और अन्डरवीयर
भी िनकाल दी। उसनेपैन्टी नहींपहनी थी, हम दोनों पूरेनंगेहो गए तो मैंनेउसे
अपना लण्ड मुंह में लेनेको कहा और मैं 69 की दशा में हो गया। वो मेरा लण्ड मुंह
में लेकर जोर सेचूसनेलगी और अन्दर बाहर करनेलगी। मैं भी अपनी जीभ उसकी
फ़ु􀆧ी में डाल कर अन्दर बाहर करनेलगा।
िफ़र अचानक उसनेमुझेघूमनेको कहा और बोली- अब नहींरहा जा रहा है, मेरे
ऊपर आ जाओ नहींतो मैं झड़ जाऊँगी।
मैंनेकहा- डािल􀉍ग ! मैं भी नहींरह सकता।
और मैंनेअपनेलण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर एक जोरदार धक्का िदया
तो उसकी चीख िनकल गई- आऽऽऽ उई मांऽऽ थोड़ा धीरेसेऽऽ !
मैं रुक गया, पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- तुम्हारा लण्ड बड़ा है, झेल नहींपाई, थोड़ी देर रुक के करना !
इसी बीच मैं उसके होंठों को चूमता रहा। िफ़र धीरेधीरेअन्दर बाहर करनेलगा।
वो िससकािरयाँलेनेलगी- सऽऽस आऽऽह आह उइमा ऽऽ चोदो मेरेराज़ा जोर से
चोदो ! मैं कब से तुम्हारे लण्ड के िलए तरस रही हूँ, मुझे मालूम है िक तुम कई िदनों
सेमुझ पर लाईन मार रहेहो। मैं भी तुमको चाहती थी और तुम्हारा लण्ड अपनी
िपक्की में घुसवाना चाहती थी। और जोर सेचोदो ! फ़ाड़ दो मेरी चूत को ! ऊ ई
माऽऽ आ ःःस आह ! मैं गई ! आऽऽह ! और वो झड़ गई। िफ़र मैं उसको दस िमनट
तक चोदता रहा। वो भी उछल उछल कर मेरा साथ देरही थी और ःस आह करती
रही। मैं भी झड़ने की तैयारी में था- आह ! मैं झड़ रहा हूँ ! कहाँ िनकालँू?
तो वो बोली- मेरी िपक्की में िनकाल दो, मैंनेओपरेशन करवा िलया है।
मैंनेउसको कस के पकड़ा, अपनेहोंठ उसके होंठों पर रखेऔर जोर जोर सेधक्के
मारनेलगा। मैं उसकी फ़ु􀆧ी में ही झड़ गया।
िफ़र वो मुःकुराई और कहनेलगी िक, नहीं, मैनेकहा- एक दौर और हो जाए?
तो कहनेलगी- नहीं ! ःकूल सेबच्चेआनेवालेहैं, िफ़र कभी ! िफ़र मुझेहोंठों पर
चुम्मा देकर खड़ी हो गई और कपड़ेपहन कर मेरेिलए खाना परोसनेलगी।
मैंनेबाथरूम में जाकर अपनेऔज़ार को साफ़ िकया और आकर खाना खानेलगा।
इस बीच मैं उसको देख देख आँख मारता रहा और बात करता रहा। वो मुझसेबोली-
हम अकेलेमें पित-प􀆤ी की तरह रहेंगे।
मैंनेउसकी गाण्ड मारनेकी इच्छा जािहर की तो बोली- अब मौका िमलेगा तो तुम
मुझे जसै े चाहे चोदना चाहोगे वैसे चोदना ! मैं अब तुम्हारी हो गई हूँ।
दोःतो ! अब हम जब भी मौका िमलता तब जम कर चुदाई करतेहैं।



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