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Sunday, November 8, 2009

तीन भाभीयांऔर नॉकरानी बसंती

1में हूँ राज. कै सेहैआपसब मैंआप को हमारेगांवकी बात बताने जा रहा हूँ मेरे िहसाब से उसने
कुच्छ बुरा नहींिकया हैहांलािक कई लोग उसेपापी समझेंगें. कहानी पढ़ कर आप ही फ़ैसला
कीिजएगा की जो हुआ वो सही हुआहै या
नहींयेकहानीमेरेदोःतमंगलकीहैअबाआपलोगमंगलकीजुबा नी.
इसकहानीकामजालो कई साल पहलेकी बात हैजब में अठारह साल का था और मेरेबड़ेभैया,
काशी राम चौथी शादी करना सोच रहेथे.
हम सब राजकोट सेपच्चास km दरू एक 􀉩◌ोटेसेगाँव में ज़मीदार हैं एक सौ बीघा की खेती है
और लंबा चौड़ा व्यवहार है हमारा. गाँव मे चार घरऔर कई दकु ानें है मेरे माता-िपताजी जब में
दस साल का था तब मर गए थे. मेरेबड़ेभैया काश राम और भाभी सिवता नेमुज़ेपल पोस कर
बड़ा िकया.
भैया मेरेसेतेरह साल बड़ेहें. उन की पहली शादी के वईत में आठ साल का था. शादी के पाँच साल
बाद भी सिवता को संतान नहीं हुई. िकतने डॉक्टर को िदखाया लेिकन सब बेकार गया. भैया ने
दसू री शादी की, चंपा भाभी के साथ तब मेरीआयु तेरह साल की थी.
लेिकन चंपा भाभी को भी संतान नहीं हुई. सिवताऔर चंपा की हालत िबगड़ गई, भैया उन के साथ
नौकरानीयों जैसा व्यवहार कर नेलगे. मुझेलगता हैकी भैया नेदो नो भािभयों को चोदना चालू
ही रक्खा था, संतान की आस में.
दसू री शादी के तीन साल बाद भैया ने तीसरी शादी की, सुमन भाभी के साथ. उस वईत में सोलह
साल का हो गया था और मेरेबदन में फ़कर् पड़ना शुरू हो गया था. मेरेवृषाण बड़ेहो गयेबाद में
काखः में और लोडेपर बाल उगेऔर आवाज़ ग॑ा हो गया. मुँह per मुच्च िनकल आई. लोडा लंबा
और मोटा हो गया. रात को ःवप्न-दोष हो नेलगा. में मूठ मारना सीख गया.
सिवता और चंपा भाभी को पहली बार देखा तब मेरे man में चोदनेका िवचार तक आया नहींथा,
में बच्चा जो था. सुमन भाभी की बात कुच्छ ओर थी. एक तो वो मुझ सेचार साल ही बड़ी थी.
दसू रे, वो काफ़ी ख़ूबसूरत थी, या कहो की मुज़े ख़ूबसूरत नज़रआती थी. उस के आने के बाद में हैर
रात कल्पना कीयेजाता था की भैया उसेकैसेचोदतेहोंगेऔर रोज़ उस के नाम मूट मार लेता था.
भैया भी रात िदन उस के िपच्छेपड़ेरहतेथे. सिवता भाभी और चंपा भाभी की कोई क़ीमत रही
नहीं थी. में मानता हूँ की भैया बच्चे के वाःते कभी कभी उन दो नो को भी चोदते थे. तजुबई की
बात येहैकी अपनेमें कुच्छ कमी हो सकती हैऐसा माननेको भैया तैयार नहींथे. लंबेलंड सेचोदे
और ढेर सारा वीरय प􀆤ी की चूत में उंदेल देइतना काफ़ी हैमदर् के वाःतेबाप बनानेके िलए ऐसा
उन का दरध िवःवास था. उन्हो नेअपनेवीरय की जाँच करवाई नहींथी.
उमर का फ़ासला होनेसेसुमन भाभी के साथ मेरी अचची बनती थी, हालन की वो मुझेबच्चा ही
समझती थी. मेरी मौजूदगी में कभी कभी उस का पल्लूिखसक जाता तो वो शरमाती नहींथी.
इसी िलए उस के गोरेगोरेःतन देखनेके कई मौक़े िमलेमुझे. एक बार ःनान के बाद वो कपड़े
बदल रही थीऔर में जा पहुँचा. उस काआधा नंगा बदन देख में शरमा गया लेिकन वो िबना िहच
िकचत बोली, ' ख़टखटा के आया करो.'
दो साल यूँगुज़र गयेमें अठारह साल का हो गया था और गाँव की ःकूल की 12 वी में पढ़ता था.
भैया चौथी शादी के बारेमें सोचनेलगे. उन दीनो में जो घटनाएँघटी इस का येबयान है
बात ये हुई की मेरी उॆ की एक नॉकरानी, बसंती, हमारे घर काम पे आया करती थी. वैसे मेने उसे
बचपन से बड़ी होते देखा था. बसंती इतनी संुदर तो नहीं थी लेिकन चौदह साल की दसू री लड़िकयों
के बजाय उस के ःतन काफ़ी बड़ेबड़ेलुभावनेथे. पतलेकपड़ेकी चोली के आर पार उस की छोटी
छोटी िनपपलेस साफ़ िदखाई देती थी. में अपनेआप को रोक नहींसका. एक िदन मौक़ा देख मेने
उस के ःतन थाम िलया. उस नेग़ुःसेसेमेरा हाथ झटक डाला और बोली, 'आइंदा ऐसी हरकत
करोगे तो बड़े सेठ को बता दँगू ी' भैया के डर से मेने िफर कभी बसंती का नाम ना िलया.
एक साल प􀆽ेसऽह साल की बसंती को ब्याह िदया गया था. एक साल ससुराल में रह कर अब वो
दो महीनो केिलयेयहाँआई थी. शादी के बाद उस का बदन भर गया था और मुझेउस को चोदने
का िदल हो गया था लेिकन कुच्छ कर नहींपाता था. वो मुझ सेक़तराती रहती थी और में डर का
मारा उसेदरू सेही देख लार तपका रहा था.
अचानक क्या हुआक्या मालूम, लेिकन एक िदन माहोल बदल गया. दो चार बार बसंती मेरे
सामनेदेख मुःकराई. काम करतेकरतेमुझेगौर सेदेखनेलगी मुझेअचछा लगता था और िदल
भी हो जाता था उस के बड़ेबड़ेःतनों को मसल डालनेको. लेिकन डर भी लगता था. इसी िलए मेने
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कोई ूतीभाव नहींिदया. वो नखारें िदखती रही.
एक िदन दोपहर को में अपनेःटडी रूम में पढ़ रहा था. मेरा ःटडी रूम अलग मकान में था, में वहीं
सोया करता था. उस वईत बसंती चली आई और रोती सूरत बना कर कहनेलगी 'इतनेनाराज़
क्यूंहो मुझ से, मंगल ?'
मेने कहा 'नाराज़ ? में कहाँ नाराज़ हूँ ? में क्यंू होऊं नाराज़?'
उस की आँखों में आँसूआ गायेवो बोली, 'मुझेमालूम हैउस िदन मेनेतुमरा हाथ जो झटक िदया
था ना ? लेिकन में क्या करती ? एकओर डर लगता थाऔर दसू रे दबाने से ददर् होता था. माफ़ कर
दो मंगल मुज़े.'
इतनेमें उस की ओढनी का पल्लूिखसक गया, पता नहींकी अपनेआप िखसका या उस नेजान
बूझ के िखसकाया. नतीजा एक ही हुआ, लोव कू ट वाली चोली में से उस के गोरे गोरे ःतनों का
उपरी िहःसा िदखाई िदया. मेरेलोडेनेबग़ावत की नौबत लगाई.
में, उस में माफ़ करने जैसी कोई बात नहीं है म..मेने नाराज़ नहीं हूँ तो मुझे मागनी चािहए.'
मेरी िहच िकचाहत देख वो मुःकरा गयी और हँस के मुझ सेिलपट गयी और बोली, 'सच्ची ? ओह,
मंगल, में इतनी ख़ुश हूँ अब. मुज़े डर था की तुम मुज़ से रूठ गये हो. लेिकन में तुम्है माफ़ नहीं
करूं गी जब तक तुम मेरी चुिचयों को िफर नहीं छ्छु ओगे.' शमर् से वो नीचा देखने लगी मेने उसे
अलग िकया तो उस नेमेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ अपनेःतन पर रख िदया और दबाए
रक्खा.
'छ्छोड़, छ्छोड़ पगली, कोई देख लेगा तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.'
'तो होनेदो. मंगल, पसंद आई मेरी चूची ? उस िदन तो येकच्ची थी, छू नेपर भी ददर् होता था.
आज मसल भी डालो, मज़ा आता है
मेने हाथ छु डा िलयाऔर कहा, 'चली जा, कोईआजाएगा.'
वो बोली, 'जाती हूँ लेिकन रात कोआऊं गी. आऊं ना ?'
उस का रात को आनेका ख़याल माऽ सेमेरा लोडा तन गया. मेनेपूच्छा, 'ज़रूर आओगी?' और
िहम्मत जुटा कर ःतन को छुआ. िवरोध िकए िबना वो बोली,
'ज़रूर आऊंगी. तुम उपर वालेकमरेमें सोना. और एक बात बताओ, तुमनेकीस लड़की को चोदा है
?' उस नेमेरा हाथ पकड़ िलया मगर हटाया नहीं.
'नहींतो.' कह के मेनेःतन दबाया. ओह, क्या चीज़ था वो ःतन. उस नेपूच्छा, 'मुज़ेचोदना है ?'
सुन तेही में चहोंक पड़ा.
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