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Friday, May 22, 2009

ननद न. 1

कांता नाथ रहते थे. उनके केवल एक लड़का और एक लड़की थी. लड़का 30-32 साल का था और दूसरे सिटी मैं जॉब करता था. लड़की मीना 18-19 साल की थी और B.A. कर रही थी. मैं खुद 22 साल का था. मीना के भाई की शादी 7 साल पहले हुई थी और उसकी भाभी माया भरपूर जवान थी. मीना का मेरे घर मैं आना जाना था. मैने कई बार उसकी चूचियों को दबाया था और एक आध बार छूट को भी सहलाया था. अब इधर कई दीनो से मैं और मीना आपस मैं मज़ा ले रहे थे, पर अभी तक उसे छोड़ा नही थे. केवल चूचियों को दबा था और छूट को सहलाया था. कल रात उसके बाप कही बाहर गये थे तू मीना चुपके से मेरे घर मैं आ गयी. इस रात मैने उसे छोड़कर कुँवारी छूट का मज़ा लिया. मीना चूड़ने के बाद बहुत खुश थी. वा मुझसे बोली, "श बहुत मज़ा आया. अब रोज़ छोड़ना." "पर कैसे तुम तू आती नही हो रोज़." "अपने घर मैं ही चड़वौनगी तुमसे." "वहाँ तू भाभी होगी." "अरे भाभी मेरी बहुत अच्छी हैं. वा मुझसे बहुत प्यार करती है. मैने तुम्हारे बारे मैं उसे सब बता दिया है. कह रही थी की अपने दोस्त को घर ले आओ और मुझे भी छुड़वा दो." मैं उसकी बात सुन खुश हो बोला, "तुम्हारी भाभी भी." "हन मेरी जान मेरी भाभी बहुत चुड़क्कड़ है. साली बहुत लंड खा चुकी हैं और पापा को भी मज़ा देती हैं. वा साथ रहेंगी तू घर मैं रोज़ ही मज़ा लिया जया करेगा." मैं यह जान बहुत खुश हो गया की मीना के साथ-साथ उसकी भाभी की छूट भी मिलेगी. अगले दिन सुबह 10 बजे उसके घर गया. उसके घर के सामने गया तू खुश हो गया. मीना मेरे ही इंतेज़ार मैं खड़ी थी. जैसे ही अंदर गया मीना ने दरवाज़ा बंद किया और बोली, "राजा भाभी को तैय्यर कर लिया है पर मुझे ज़्यादा करना भाभी को कम." मैं मीना की चूचियों को पकड़ बोला, "घबराव नही. तुम्हारे लिए ही तू तुम्हारी भाभी की लेने को आया हून. अब घर मैं सारा खेल हो जया करेगा. वरना तुम्हारी भाभी को मैं नही करता." मैं मीना की भाभी को देख chuka चक्का था. वा 27-28 की chudi चुदाई औरत थी. खूबसूरत तू बहुत थी पर मीना भी कम नही थी और फिर कुँवारी थी. काँटा नाथ की बहू और बेटी मेरे लिए मज़े का ख़ज़ाना बन गयी थी. चूचियों को डब्वाते ही मीना का गोरा मुखड़ा लाल हो गया. वा बोली, "हाए छ्होरिय, अंदर चलकर आराम से." मैं मीना के चूटर पर हाथ लगा बोला, "भाभी के सामने शरमाओगी तू नही." "शरमौँगी क्यों राजा पर मुझे ज़्यादा करना." "उसकी चिंता मत करो. मैं तू तुम्हारा दीवाना हून. रात मैं तू अंधेरा था, हाए इस समय कितनी खूबसूरत लग रही हो. उजाले मैंी आता है मज़ा." "हन बहुत मज़ा आया था." "दर्द हो रहा होगा." "हन तोड़ा सा पर ठीक हो जाएगा." "मज़ा आया था ना रात मैं मुझसे छुड़वाने का." "हन राजा खूब मज़ा आया. कमाल का है तुम्हारा." चलते-चलते लंड पर हाथ लगा बोली तू मैं खुश हो उसके आपल जैसे चिकने गाल को मसल जवानी की प्यास बुझते बोला, "तुम्हारी भाभी ने क्या कहा? बताओ ना." "भाभी ने कहा है की बुला लो हम भी मज़ा लेंगे. भाभी पूरी तरह राज़ी हैं अब तुम उनके सामने भी मज़ा ले सकते हो." यह सब बात करते-करते मीना मुझजे अपने रूम मैं ले आई. मुझे वाहा बिताकर जाने लगी तू मैने उसे पकड़ अपनी गोद मैं बिता उसके रसीले हूँटो को कसकर चूमते हुवे कहा, "तुम दोनो इस समय केवल पेट्तीकोत पहन कर आओ तू मज़ा आ जाए. देखो मीना रात भर थकाया है तुमने अब ज़रा आराम काराव. जो कहे करना तू ही मज़ा आएगा. तुम्हारे साथ-साथ आज तुम्हारी भाभी को भी तू करना है." "हून." गोद मैं खड़े लंड पर अपनी गांद रखते ही मीना अपने आप को भूल गयी. मैं काँटा नाथ की बहू और बेटी के साथ पड्रोसी का फ़र्ज़ निभाने को रेडी था. एक ही रात मैं दमदार चुदाई से मीना को अपने काबू मैं कर लिया था. अब मैं मीना के साथ-साथ उसकी भाभी माया का भी मज़ा लेने के प्लान मैं था. जानता था की मीना अब मेरी किसी बात से भी इनकार नही करेगी. "जाओ मीना भाभी को भी केवल पेट्तीकोत मैं और क्रीम लेकर आओ. इसको सॉफ किया या नही." छूट पर हाथ लगा बोला तू वा हिचकते हुवे बोली, `हाए राम अभी नही." "जाओ पहले तुम अपनी झाँते सॉफ करके चिकनी करो, तब तक भाभी को भेज दो. जब तक एकदम चिकनी करके नही आओगी मैं छोड़ूँगा नही. जब तक मुझसे चुड़वव, इसको चिकनी रखना." आज मीना को हटाकर माया के साथ मज़ा लेने का मौका मिल रहा था. माया मीना की भाभी थी. मीना की उमर 18-19 की थी और उसकी भाभी माया की 27-28 य्र्स. दोनो ही मस्त माल थे. मीना तू कुँवारी थी जिसे मैने ही छोड़कर पहला मज़ा दिया था. अब उसकी भाभी को भी छोड़ना था. मीना मेरी बात सुन गयी तू मैं बिना झिझक के मस्त छूटों का मज़ा प्यार से लेने के लिए केवल अंडरवेर मैं हो कुर्सी पर बैठ गया. मीना से पहले उसकी भाभी के आने का चान्स था क्योंकि मीना तू झांतो को सॉफ करने गयी थी. तभी माया केवल पेट्तीकोत मैं अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को हिलती हाथ मैं आयिल की बॉटल लेकर आई तू मैं जवान औरत को इस पोज़िशन मैं देखकर मस्त हो गया. माया तू चेहरे से ही चुदसी लग रही थी. वा पास आ बोली, "आप तू मेरे पड़ोस मैं ही रहते हैं. मीना आपकी बहुत तारीफ कर रही थी. मीना आपकी गर्ल फ्रेंड है तू क्या मुझे भी अपनी फ्रेंड बना लो. एक साथ शादीशुदा और कुँवारी का मज़ा मिलेगा तुमको. हाए राजा तुमने तू एक रात मैं मेरी ननद को बच्चिया(कॅफ) से गैया(काउ) बना दिया है." मीना की तरह उसकी भाभी भी एकदम चुदसी लग रही थी. मैने सोचा था की पहली बार आने पर माया शरमाएगी पर यह तू ऐसे खुलकर बात कर रही थी जैसे मेरी पुरानी रखैल हो. मैं उससे बोला, "काँटा नाथ की बहू हो?" "हन मीना कह रही थी की आपकी अभी शादी नही हुई है. आपको औरत की ज़रूरत है. हंदोनो मिलकर आपकी प्यास बुझायेँगे. मीना के साथ तू बहुत मेहनत करनी पड़ी होगी. हाए ज़रा उंदरवाएआर खोककर दिखाओ तू. बहुत तारीफ कर रही थी मीना." और बिना शरम पास आ मेरे अंडर वेर को देखने लगी. मैं माया जैसी चूड़ी और फैली छूट वाली को अपने सामने छुड़वाने के लिए तरसते देख नशे से भर गया. मुझे इस घर मैं जन्नत दिखने लगी. माया की मस्ती देख चूड़ी होने के बावजूद दिलचस्पी जागी. मैं उसकी एक चूची को पकड़ बोला, "लड़की छोड़ना कोई मज़ाक नही है. क्या कह रही थी मीना?" "कह रही थी की भाभी मेरे यार का बहुत लंबा और मोटा है. मीना मेरी ननद ही नही मेरी प्यारी सहेली भी है. इसीलिए तू मुझे तुमसे छुड़वाने दे रही है." "तुम भी खूब मज़ा लेती हो. मीना ने सब बताया है." "हन राजा क्या कारू, मीना के भाई का तू बहुत छ्होटा सा मरियल है. 1 मिनिट से भी जल्दी झार जाता है. अपने ससुर को फँसाया है, पर उसका खड़ा नही होता. बस छूट को चाट कर ही काम चलता है. मीना ने कहा था की भाभी मेरे बाप और भाई तू मरियल है पर मेरे यार का चख कर देखो, मस्त हो जाओगी. क्या करूँ अब इस उमर मैं तुम्हारे जैसे जवान 18-19 की लड़की को ही पसंद करते हैं." "कोई बात नही अब तुमको भी मैं ही सम्हालूँगा." "ठीक है राजा, तुमको पूरी छ्होट है जब चाहो यहा आकर मीना से मज़ा ले साकतो हो. उसके खूसट बाप से और भाई से डरने की ज़रूरत नही. साले दोनो के सामने मीना की छुड़वा दूँगी. बस मेरा भी ख्याल रखना. ज़रा दिखाओ तू." "घबराव नही अब मीना के साथ-साथ तुमको भी मज़ा दूँगा. दो के साथ तू बहुत मज़ा आता है. रात मैं मीना की अंधेरे मैं छोड़ा था तू मज़ा नही आया." "राजा अब उजाले मैं लो मज़ा. तोड़ा मुझे भी." "तोड़ा क्यों पूरा मज़ा लो. यह जितना मीना का है उतना ही तुम्हारा भी. दोनो को बारी-बारी से छोड़ूँगा." और उसके निपल को चुटकी से दबाया तू लंड मैं करेंट लगा और माया खुश हो बोली, "हाए तुम कितने आचे हो. राजा एक दो बार मीना को मेरे साथ छोड़ लो तू वा भी मेरी तरह खुलकर मज़ा लेने लगेगी. वैसे मेरी अभी बहुत लूस नही है, वैसे भी तुम्हारा तू कसा-कसा जाएगा." पेट्तीकोत के ऊपर से अपनी छूट दबाती बोली तू मैं उसके चूटर को सहला गाल को चूम बोला, "मैं सोच रहा हून की आज तुम दोनो को एक साथ छोड़ कर मज़ा लून." "बहुत अच्छा राजा." "रानी कल मीना को 8 बार छोड़ा है, बदन तक गया है. ज़रा मालिश कर दो ताज़गी आ जाए." मैं कंमता नाथ की बहू और बेटी के साथ वा मज़ा लेना चाह रहा था जो शायद ही किसी को मिला हो. वैसे बही तू बेटी से भी ज़्यादा चुदसी लग रही थी. पहली बार मैं ही खुलकर बोल रही थी जिससे मज़ा आ गया था. इस उमर की पहली औरत थी जिसे छोड़ने जेया रहा था. वा मुझे चालाक लग रही थी. "राजा तुम लेतो मैं और मीना मिलकर तुम्हारी मालिश कर सारी थकान उतार देंगे. अब रोज़ रात इसी कमरे मैं उजाले मैं हम दोनो का एक साथ मज़ा लेना. तुम अंडरवेर उतारो मैं बिस्तर को ज़मीन पर लगती हून." मैं फ़ौरन कुर्सी से उतार अंडरवेर अलग कर लंड को खड़ा किए खड़ा हो गया. मेरे नंगे मोटे लंबे और काले लंड को देख माया खुश हो गयी और जल्दी से उसे पकड़ कर मस्ती से बोली, "हाए आज से पहले कभी इतना टगरा लंड नही देखा. यह तू किसी घोड़े (हॉर्स) का लग रहा है. सच आज तू मेरी जवान हो जाएगी. तभी तू मीना की एकदम जवान लग रही है." माया के हाथ मैं जाते ही लंड झटके लेने लगा. मैं माया की कमर मैं हाथ डाल उसे अपनी ऊवार खिसका बोला, "मीना की देखी है क्या?" "हन राजा तुम्हारी तारीफ करते हुवे अपनी छूट दिखा बोली थी की देखो भाभी मेरी. मेरे यार ने एक रात मैं ही जवनकार दी है. लंड जाते ही मीना तड़प उठी होगी." वा खुशी से भर मेरे लंड को दबाती बोली. मुझे मीना से ज़्यादा मज़ा तू चूड़ी माया के साथ आ रहा था. बेशरम औरत तू सच बड़ी मज़ेदार होती है. वा पहली बार मेरे पास आई थी पर लग रहा था की कई बार मेरे लंड का पानी अपनी छूट मैं डलवा चुकी हो. मैं उसकी गांद को सहला बोला, "कसमसा तू गयी थी पर तुम्हारी ननद बड़ी दम वाली है." "हन राजा अभी छर्हती जवानी है." "पर शरमिली है." मैं उसके चूटर को मसल बोला तू माया मेरे लंड को देखती बोली, "घबराव नही पड़ोसी राजा, मैं मीना को अपनी तरह मस्त औरत बना दूँगी. वा भी दिल खोलकर तुम्हारे साथ मज़ा लेगी. हाए क्या मस्त लंड है, देखते मुँह मैं पानी आ गया." "रानी तुम समझदार हो. मेरी शादी नही हुई है. अगर तुम दोनो से मज़ा आया तू कही और नही जौंगा. तुम तू मुझसे भी ज़्यादा जानती हो. मेरे लिए छ्होटी बड़ी से कुच्छ नही होता, बस अगर औरत खुद खेले तू मज़ा आ जाता है.." इस पर माया लंड को मुठ्ठी मैं दबाती बोली, "ऐसा ही होगा, इस घर मैं वा मज़ा मिलेगा जो सोचा भी ना होगा." और झुक कर लंड को चूमा. मैं इस हरकत से मचल गया. चूतड़ को आयेज की ऊवार करते हाए किया और कहा और तू चालाक माया मेरी बेचैनी को समझ बोली, "लेते रहो राजा अभी तुमको वा मज़ा दूँगी जो छोड़ने से भी नही मिलता. यह सब मीना ने किया था." "कहा रानी वा तू अभी कुच्छ नही जानती. तुम अपने तरीके से मज़ा लो. मीना को गोली मरो." मैं इस मज़े को पा सब कुच्छ भूल गया. चूचियाँ ढीली थी पर किसी को भी पागल बनाने वाली हरकते जानती थी. लंड झटके लेने लगा. माया मेरे लंड को चूम बोली, "अब तुमको तरसना नही पड़ेगा. बस तुम मुझे अपने तरीके से करने दो." "करो माया जो जी मैं आए करो." "सच बताओ राजा कितनी छोड़ा है अब तक." "बहुत सी रानी." "सब लौंडिया थी." "हन" "तू अब मेरे जैसी जवान की लेकर देखो. लेते रहो." फिर काँटा नाथ की जवान बहू ने मेरे लंड को पकड़ा और झुक कर जीभ से चाटने लगी. मैं एकदम से मस्त हो गया. वा लंड पर जीभ चलकर चाट रही थी. पहली बार लंड चटवा रहा था. मैं उसकी चूचियों को पकड़ लंड को चटवाने लगा. माया का कहना सही था की छोड़ने से ज़्यादा मज़ा आ रहा था. आया था माया को पाटकर उसकी ननद को घर मैं ही छोड़ने के प्लान से पर अब खुद माया के लिए बेकरार हो गया था.

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